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AAP की ‘महिला सम्मान योजना’ को कोर्ट में चुनौती, पीठ ने याचिका पर ही उठाया सवाल

 09 Jan 2025

दिल्ली हाई कोर्ट ने मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना के खिलाफ दायर याचिका पर गंभीर सवाल उठाए हैं। याचिकाकर्ता ने इस योजना के तहत महिलाओं को वजीफा देने के आप के चुनावी वादे को चुनौती दी थी, और अदालत से यह मांग की थी कि इसे चुनाव आयोग के पास भेजा जाए। हालांकि, दिल्ली हाई कोर्ट की जस्टिस ज्योति सिंह ने इस याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता से सवाल किया कि यह याचिका चुनाव याचिका के रूप में कैसे स्वीकार्य हो सकती है। 


जस्टिस सिंह ने याचिकाकर्ता से यह भी कहा कि अगर वह इस मामले में गहरी रुचि रखते हैं तो उन्हें जनहित याचिका दायर करनी चाहिए। याचिकाकर्ता विजय कुमार का आरोप था कि आम आदमी पार्टी (आप) दिल्ली सरकार झूठी घोषणाओं के जरिए मतदाताओं को लुभा रही है। उनका कहना था कि दिल्ली सरकार पहले ही इस योजना से मना कर चुकी थी, और अब वह चुनावी लाभ के लिए इसे लागू करने की बात कर रही है। कोर्ट ने विजय कुमार से इस मुद्दे पर दलीलें पेश करने को कहा और मामले की सुनवाई को 10 जनवरी तक स्थगित कर दिया। याचिकाकर्ता के वकील शिव शंकर पाराशर ने बताया कि विजय कुमार ने दिल्ली में सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा दिल्ली के महिला मतदाताओं को 2,100 रुपये मासिक वजीफा देने की योजना की घोषणा को लेकर भारत के चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज की थी। लेकिन आयोग की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई। 

याचिकाकर्ता ने अदालत से अनुरोध किया कि चुनाव आयोग को उनके द्वारा 3 जनवरी को दायर की गई शिकायत का शीघ्र निपटान करने का निर्देश दिया जाए। इसके साथ ही, याचिका में यह भी मांग की गई कि मुख्य निर्वाचन अधिकारी को यह निर्देश दिया जाए कि 'आप' कार्यकर्ताओं द्वारा योजना से संबंधित फॉर्म भरने पर रोक लगाई जाए, ताकि दिल्ली की महिला मतदाता प्रभावित न हो। इस बीच, यह मामला और भी महत्वपूर्ण हो गया, क्योंकि 12 दिसंबर 2024 को 'आप' के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना की शुरुआत करने की घोषणा की थी।

 इसके तहत, पार्टी ने दिल्ली सरकार की योजनाओं के तहत महिलाओं को मासिक 1,000 रुपये की सहायता राशि देने की बात की थी। फिर, उन्होंने वादा किया कि यदि उनकी पार्टी सत्ता में वापस लौटती है तो यह राशि बढ़ाकर 2,100 रुपये कर दी जाएगी। लेकिन 25 दिसंबर को दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल विकास और स्वास्थ्य विभाग ने सार्वजनिक नोटिस जारी किया और इन योजनाओं से खुद को अलग कर लिया। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि उनकी ओर से ऐसी कोई योजना लागू नहीं की जा रही है और लोगों से अनुरोध किया कि वे इन योजनाओं के लिए पंजीकरण न करें। इसके बाद इस योजना से जुड़े विवाद ने तूल पकड़ लिया। 

इस मामले ने विधानसभा चुनाव से पहले एक नया मोड़ लिया, और दोनों विभागों ने लोगों को इन कथित योजनाओं के लिए व्यक्तिगत जानकारी देने से सावधान किया। दिल्ली में आगामी विधानसभा चुनाव 5 फरवरी को निर्धारित है, जबकि मतगणना 8 फरवरी को होगी। इस पूरे विवाद और कानूनी मामले ने दिल्ली की राजनीति में एक नई हलचल पैदा कर दी है, और अब यह देखना होगा कि अदालत का निर्णय क्या आता है और चुनाव आयोग इस मुद्दे पर कैसे प्रतिक्रिया देता है।