हरियाणा और पंजाब को जोड़ने वाली शंभू सीमा पर गतिमान किसान आंदोलन के संदर्भ में एक दुखद घटना घटी है, जब एक किसान, रेशम सिंह, ने गुरुवार को आत्महत्या करने के लिए जहर का सेवन किया। रेशम सिंह की उम्र 55 वर्ष थी और वे पंजाब के तरनतारन जिले के पाहुविंड गांव के निवासी थे। जानकारी के मुताबिक, वे लंबे समय से शंभू सीमा पर चल रहे किसानों के आंदोलन का सक्रिय हिस्सा थे। यह प्रदर्शन पिछले लगभग एक साल से जारी है, जिसमें अनेक किसान अपनी मांगों के लिए सड़क पर उतर आए हैं। उल्लेखनीय है कि हाल ही में इसी स्थान पर एक और किसान ने आत्महत्या की थी, और रेशम सिंह का यह कदम एक बहुत बड़े सामाजिक मुद्दे की ओर इशारा करता है।
मौके पर उपस्थित प्रदर्शनकारी किसानों का कहना है कि लंबे समय से चल रहे इस आंदोलन का कोई ठोस समाधान न निकलने से वे काफी निराश और आहत हैं। उन्होंने केंद्र सरकार की नीति और उसके द्वारा आंदोलन को लेकर किए गए अनदेखी के खिलाफ आवाज उठाई है। प्रदर्शनकारियों का मानना है कि सरकार को किसानों के प्रति अपने द्वारा किए गए वादों को पूरा करना चाहिए, जो कि न्यूनतम समर्थन मूल्य के संबंध में हैं।
रेशम सिंह की आत्महत्या ऐसे समय में हुई है जब खनौरी बॉर्डर पर किसान नेता पिछले 45 दिनों से अनशन पर बैठे हैं, उनकी स्वास्थ्य स्थिति बेहद बिगड़ चुकी है, फिर भी वे आमरण अनशन के अपने निर्णय से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एक समिति ने किसान नेताओं से मुलाकात करके उनसे उनकी सेहत का ध्यान रखने की अपील की, लेकिन फिर भी उन्होंने इस पर गौर नहीं किया। शंभू सीमा पर किसानों के बीच पिछले तीन सप्ताह में यह आत्महत्या की दूसरी घटना है, जो एक गंभीर चिंता का विषय है। पंजाब के कई किसान संगठनों ने चार साल से चल रहे इस आंदोलन में भाग लिया है और उनकी प्रमुख मांग है कि केंद्र सरकार फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी के लिए एक ठोस कानून बनाए।
किसान नेता तेजवीर सिंह ने जानकारी दी कि रेशम सिंह केंद्र सरकार से इस आंदोलन के दौरान मुद्दों के समाधान न किए जाने को लेकर गहरी नाखुशी महसूस कर रहे थे। पिछले साल के लगभग इसी समय, 18 दिसंबर को, शंभू सीमा पर एक अन्य किसान रणजोध सिंह ने भी आत्महत्या की थी। इस प्रकार, संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले किसान पिछले वर्ष 13 फरवरी से लगातार धरना दिए हुए हैं। उन्हें दिल्ली की ओर बढ़ने से सुरक्षा बलों द्वारा रोका गया था।
इस स्थिति को देखते हुए, किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने स्पष्ट कहा है कि वे आमरण अनशन खत्म नहीं करेंगे और हाल ही में उन्होंने यह भी कहा, "मेरी जिंदगी या सेहत की परवाह नहीं है, मैं केवल यही चाहता हूं कि किसानों के हितों की रक्षा होनी चाहिए।" इस प्रकार, ये घटनाएँ सरकार के प्रति किसानों की तीव्र असंतोष और आंदोलन की गंभीरता को दर्शाती हैं।