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संभल में जामा मस्जिद-हरिहर मंदिर विवाद पर कोर्ट कमिश्नर ने पूरी की सर्वे प्रक्रिया, रिपोर्ट सौंपी!

 02 Jan 2025

संभल में जामा मस्जिद के हरिहर मंदिर होने के दावे को लेकर दाखिल याचिका पर किए गए सर्वे का काम अब पूरा हो गया है। गुरुवार को कोर्ट कमिश्नर रमेश सिंह राघव ने अपनी 40 पन्नों की रिपोर्ट कोर्ट में सौंप दी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार यह रिपोर्ट सील बंद लिफाफे में रखी गई है और इसे तब तक सार्वजनिक नहीं किया जा सकता जब तक सुप्रीम कोर्ट का आदेश न आए। कोर्ट कमिश्नर ने इस मामले में कहा कि जब रिपोर्ट खुली जाएगी, तब उसके सभी विवरण सामने आ जाएंगे। उन्होंने यह भी बताया कि अगर मुस्लिम पक्ष (रेस्पॉन्डेंट नंबर 6) हाई कोर्ट में अपील करता है, तो उसके आधार पर आगे की प्रक्रिया तय की जाएगी। वहीं, उन्होंने स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक रिपोर्ट न तो न्यायधीश देख सकते हैं और न ही इसे खोला जा सकता है। सर्वे के दौरान ही संभल में हिंसा भड़क उठी थी, जिसमें चार युवकों की गोली लगने से मौत हो गई और एक युवक की मौत चोट लगने से हुई। 


इस हिंसा के बाद प्रशासन ने इसे नियंत्रण में किया, लेकिन राजनीतिक पार्टियों ने इसे लेकर जमकर विरोध किया। समाजवादी पार्टी (सपा) ने मृतकों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपए के चेक दिए और इस मुद्दे को विधानसभा, राज्यसभा और लोकसभा में उठाया। खास बात यह रही कि इस दौरान सपा के शीर्ष नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने पीड़ित परिवारों से मिलने की कोशिश की, लेकिन प्रशासन ने स्थिति को और बिगड़ने से बचाने के लिए किसी को भी 10 दिसंबर तक संभल जाने की अनुमति नहीं दी। 

 इसके अलावा, हिंसा के बाद पुलिस ने मुस्लिम बहुल इलाकों में छापेमारी शुरू की। इस दौरान कई अवैध अतिक्रमण और बड़े पैमाने पर बिजली चोरी के मामले सामने आए। प्रशासन ने सपा सांसद के घर तक में बिजली चोरी पकड़ी। कई मस्जिदों में भी बिजली चोरी के मामलों का खुलासा हुआ। पुलिस और प्रशासन की इस कार्रवाई से स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई। इसी बीच, प्रशासन ने एक ऐतिहासिक मंदिर भी ढूंढ निकाला, जहां पूजा पाठ शुरू कराया गया। मंदिर के साथ-साथ अन्य धार्मिक स्थलों, बावड़ियों, कुएं और कूपों की खोज भी जारी है, जिसमें प्रशासन को लगातार सफलता मिल रही है। यह सभी घटनाएं पूरे संभल जिले के लिए बड़े राजनीतिक और धार्मिक विवादों का कारण बन गईं हैं। 

 अब जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर के बीच के विवाद ने सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचने का रास्ता बना लिया है, लेकिन फिलहाल कोर्ट के आदेश के बाद ही इस मामले में कोई आगे की कार्रवाई हो सकेगी। इस बीच, प्रशासन अन्य मंदिरों और सनातन धर्म के धार्मिक चिह्नों की खोज में जुटा हुआ है, जिससे यह साफ है कि यह मामला केवल एक धार्मिक विवाद से कहीं अधिक बढ़कर एक राजनीतिक मुद्दा बन चुका है।