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'उत्तर प्रदेश का गुंडा Act अत्यंत कठोर'—सर्वोच्च न्यायालय ने व्यक्त की गहरी चिंता

 04 Dec 2024

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि उत्तर प्रदेश का गुंडा और गैर-सामाजिक गतिविधि रोकथाम कानून अत्यंत कठोर है। न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने एक याचिका की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। वस्तुतः इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मई 2023 में गुंडा एक्ट के तहत लंबित कार्यवाही को रोकने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। अब सर्वोच्च न्यायालय ने इस याचिका पर सुनवाई करने का निर्णय लिया है। 


पुलिस और न्यायिक मशीनरी के दुरुपयोग का आरोप

 सुप्रीम कोर्ट ने पिछले वर्ष नवंबर में इस याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा था और याचिकाकर्ता के विरुद्ध गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई पर रोक लगा दी थी। सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव अग्रवाल और अधिवक्ता तन्वी दुबे ने याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी कि यूपी गैंगस्टर्स एक्ट के तहत दर्ज प्राथमिकी निराधार है और पूर्व प्राथमिकी से प्रेरित है। याचिका में यह भी कहा गया कि यह प्राथमिकी कानूनी प्रक्रिया का घोर दुरुपयोग है, और याचिकाकर्ता पर गैंगस्टर्स एक्ट का प्रयोग पक्षपातपूर्ण है तथा पुलिस एवं न्यायिक तंत्र का दुरुपयोग है।

बुधवार को याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि उनके खिलाफ पहले 1986 एक्ट के तहत अवैध खनन का मामला दर्ज किया गया था और एक ही आरोप में दो बार मामला दर्ज किया गया। गुंडा एक्ट की समीक्षा करते हुए पीठ ने कहा कि इस पर गंभीर विचार की आवश्यकता है। साथ ही, पीठ ने यह भी कहा कि इस कानून के कुछ प्रावधानों की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली एक अन्य याचिका पर भी अदालत सुनवाई करेगी। 

इससे पूर्व उच्च न्यायालय में याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया था कि उन्हें गैंगस्टर अधिनियम के तहत दर्ज मामले में झूठा फंसाया गया है। उन्होंने यह भी दावा किया था कि गैंगस्टर अधिनियम के तहत मामला केवल एक अन्य प्रकरण के आधार पर दर्ज किया गया है, जिसमें याचिकाकर्ता का नाम तक नहीं है।