अगरतला में बांग्लादेश सहायक उच्चायोग के बाहर हिंदू नेता चिन्मय दास की विवादास्पद गिरफ्तारी के विरोध में हुए जोरदार प्रदर्शन के बाद एक बड़ा कूटनीतिक घटनाक्रम सामने आया है। मंगलवार को भारतीय उच्चायुक्त प्रणय वर्मा को तत्काल पूछताछ के लिए तलब किया गया, जो कि दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव का संकेत है। इस गंभीर मामले में सात प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया है, जिन पर बांग्लादेश के वाणिज्य दूतावास में जबरन घुसने और महत्वपूर्ण संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचाने के गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
अगरतला स्थित बांग्लादेश उप उच्चायोग भवन पर सोमवार को हुए असामाजिक तत्वों के हमले की घटना ने भारत को चिंतित कर दिया है। भारत सरकार ने इस घटना पर गहरा खेद व्यक्त करते हुए कहा कि यह घटना दोनों देशों के मैत्रीपूर्ण संबंधों के विपरीत है। सुरक्षा को लेकर तत्काल कार्रवाई करते हुए देशभर में बांग्लादेश उच्चायोग के भवनों के चारों ओर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था कर दी गई है।
बांग्लादेशी विदेश मंत्रालय ने इस मामले को अत्यंत गंभीरता से लेते हुए एक विस्तृत प्रेस विज्ञप्ति जारी की है। विज्ञप्ति में विएना समझौते का हवाला देते हुए न केवल गहन जांच की मांग की गई है, बल्कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की भी मांग की गई है। यह घटना भारत को एक जटिल कूटनीतिक स्थिति में ला खड़ा किया है, क्योंकि अब तक भारत ढाका स्थित अपने उच्चायोग की सुरक्षा के लिए बांग्लादेश सरकार पर लगातार दबाव बना रहा था।
इस अप्रत्याशित घटना ने दोनों पड़ोसी देशों के बीच पहले से चल रहे कूटनीतिक तनाव को और अधिक जटिल बना दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह स्थिति दोनों देशों के लिए चिंताजनक है और इसे सुलझाने के लिए उच्च स्तरीय कूटनीतिक पहल की आवश्यकता है।