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महाराष्ट्र चुनाव में बेरोजगारी और भ्रष्टाचार है मुद्दा, लोकनीति-सीएसडीएस के सर्वे में विपक्ष को झटका

 22 Oct 2024

महाराष्ट्र में 20 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव होने है। ऐसे में राजनीतिक सरगर्मियां दिल्ली से लेकर मुंबई तक तेज हो गई है। विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी ने अभी तक सीट बंटवारे का ऐलान नहीं किया है। इस गठबंधन में कांग्रेस, शिवसेना(यूबीटी), एनसीपी(एसपी) शामिल है। तो दूसरी और भाजपा ने 99 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है। हालांकि, सत्तारूढ़ महयुति ने भी अभी तक ये ऐलान नहीं किया है कि कौन कितनी सीटों पर चुनाव लड़ रहा है। इसके अलावा विधानसभा चुनाव को लेकर अलग सर्वे भी जारी किए जा रहे है, जिसमें यह बताने की कोशिश की जा रही कि महाराष्ट्र में चुनाव का मुद्दा क्या है।


चुनाव के बीच समाचार पत्र द हिन्दू ने लोकनीति-सीएसडीएस के चुनाव से पहले सर्वे का हवाला देते हुए एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। जिससे विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाड़ी को झटका लग सकता है। दरअसल, लोकनीति-सीएसडीएस ने चुनाव से पहले राज्य के चुनावी माहौल को लेकर एक बड़ा सर्वे किया है। सर्वे के रिपोर्ट के अनुसार, बीते चार महीने में राज्य का माहौल बदल गया है। चार महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति को झटका लगा था। राज्य की 48 लोकसभा सीटों में से केवल नौ पर भाजपा, सात पर शिवसेना और एक पर एनसीपी को जीत मिली थी। दूसरी ओर कांग्रेस को 13, शिवसेना(यूबीटी) को नौ और एनसीपी(एसपी) को आठ सीटें मिली थीं। लेकिन, इस सर्वे में अब लोगों में सरकार के प्रति कोई बड़ी नाराजगी नहीं दिख रही है। ऐसे में महायुति इस विधानसभा चुनाव में अपने प्रदर्शन में सुधार कर सकता है।


बेरोजगारी और भ्रष्टाचार है मुद्दा


महायुति सरकार के प्रति लोगों में नाराजगी न होने के पीछे मुख्य कारण इस सरकार द्वारा चलाई गई कल्याणकारी योजनाएं हैं। जाहिर हैं लोकसभा चुनाव के बाद राज्य की एकनाथ शिंदे सरकार ने लड़की बहिन योजना शुरू की थी। जिसके तहत महिलाओं को हर महीने 1500 रुपये दिए जा रहे हैं। चुनाव की घोषणा से पहले ही सरकार ने नवंबर तक की किस्त जारी कर दी है। यानी चुनाव से पहले ही महिलाओं के खाते में 7500 रुपये पहुंच चुके हैं।

सर्वे के अनुसार शिंदे सरकार से नाराज लोगों की संख्या कम है। बल्कि इस सरकार के कामकाज से संतुष्ट लोगों की संख्या ज्यादा देखी गई। मोटे तौर पर हर पांच में से एक वोटर यानी 20 फीसदी वोटर इस सरकार के कामकाज से पूरी तरह संतुष्ट है। दूसरी तरफ इससे असंतुष्ट लोगों का प्रतिशत 18 फीसदी था। यहां शिंदे सरकार के पक्ष में जो चीज सबसे अच्छी है वो है वेलफेयर योजनाओं की व्यापक पहुंच।

ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि महायुति सरकार को इससे कितना फायदा होता है। सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक चुनाव में उनके सबसे अहम मुद्दे के बारे में पूछे जाने पर आधे से अधिक लोगों का कहना था कि उनके लिए महंगाई और बेरोजगारी बड़े मुद्दे हैं। लोगों का मानना है कि बीते पांच सालों में महंगाई और भ्रष्टाचार बढ़ा है। इसके अलावा मराठा आरक्षण को लेकर अधिकतर लोगों का मानना है कि मराठा लोगों को आरक्षण मिलना चाहिए।

21 सितंबर से 6 अक्टूबर के बीच हुए इस सर्वे में लोगों से जानने की कोशिश की गई की राज्य के लिए बेहतर कौन है। इस सवाल को लेकर अधिकतर लोगों ने बताया कि राज्य के विकास और सामाजिक सौहार्द के लिए पूर्व की महाविकास अघाड़ी सरकार बेहतर थी। जबकि पानी, बिजली, सड़क जैसी सेवाएं देने में मौजूदा शिंदे सरकार बेहतर है।