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जस्टिस संजीव खन्ना होंगे सुप्रीम कोर्ट के 51वें मुख्य न्यायाधीश, सीजेआई चंद्रचूड़ ने केंद्र सरकार को भेजा नाम

 17 Oct 2024

देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने केंद्र सरकार के सामने प्रस्ताव रखा है कि जस्टिस संजीव खन्ना को अगला सीजेआई बनाया जाए। दरअसल, मौजूदा सीजेआई अपने उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश तभी करता है, जब उन्हें कानून मंत्रालय ऐसे करने के लिए कहता है। सीजेआई चंद्रचूड़ 10 नवंबर 2024 को रिटायर हो जाएंगे। सीजेआई चंद्रचूड़ ने वरिष्ठता के आधार पर जस्टिस खन्ना के नाम का प्रस्ताव रखा है। अगर सरकार प्रस्ताव स्वीकार कर लेती है तो जस्टिस खन्ना सुप्रीम कोर्ट के 51वें सीजेआई होंगे। जस्टिस खन्ना का कार्यकाल 23 मई, 2025 तक होगा। यानी वह करीब साढ़े छह महीने इस पद पर रहेंगे। जस्टिस खन्ना 18 जनवरी, 2019 को सुप्रीम कोर्ट के जज बने थे।


1983 में शुरू किया कानूनी सफर

जस्टिस संजीव खन्ना का विशिष्ट कानूनी करियर रहा है, जो भारत के न्यायिक परिदृश्य में उनके अनुभव और महत्वपूर्ण योगदान को दर्शाता है। उन्होंने 1983 में दिल्ली बार काउंसिल में रजिस्ट्रेशन कराया था। यहीं से उन्होंने कानूनी सफर की शुरुआत की थी। शुरुआत में दिल्ली हाईकोर्ट जाने से पहले जस्टिस खन्ना तीस हजारी स्थित जिला अदालतों में प्रैक्टिस करते थे। जस्टिस खन्ना को 2005 में दिल्ली हाईकोर्ट के एडिशनल जज के रूप में पदोन्नत किया गया था। 2006 में वह स्थायी न्यायाधीश बन गए। अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने दिल्ली न्यायिक अकादमी, दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र और जिला न्यायालय मध्यस्थता केंद्रों में भी योगदान दिया। जस्टिस खन्ना का करियर तेजी से आगे बढ़ता रहा। उन्होंने जनवरी 2019 में सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश के रूप में अपनी नियुक्ति से पहले किसी भी हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस के रूप में कार्य नहीं किया।


संजीव खन्ना के महत्वपूर्ण केस


जस्टिस संजीव खन्ना ने सुप्रीम कोर्ट में जज के पद पर रहते हुए कई महत्वपूर्ण फैसले सुनाए। खासकर उन्होंने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी, जिससे उन्हें लोकसभा चुनावों के दौरान प्रचार करने की अनुमति मिली। इसमें उन्होंने लोकतांत्रिक भागीदारी के महत्व को रेखांकित किया था। जस्टिस खन्ना ने उस पीठ की भी अध्यक्षता की जिसने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) में डाले गए वोटों के 100 फीसदी वीवीपैट सत्यापन के अनुरोध को अस्वीकार किया था। अप्रैल 2024 के फैसले ने चुनावों की सटीकता और अखंडता को सुनिश्चित करने के लिए भारत निर्वाचन आयोग की ओर से उठाए गए उपायों को स्वीकार किया। 

जस्टिस खन्ना उस पीठ में भी शामिल थे, जिसने इस साल की शुरुआत में चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक घोषित कर दिया था। जस्टिस खन्ना पांच-न्यायाधीशों वाली उस पीठ में भी शामिल थे, जिसने आर्टिकल 370 को निरस्त करने का फैसला बरकरार रखा। यह निर्धारित करते हुए उन्होंने कहा था कि यह आर्टिकल भारत की संघीय संरचना का एक अनूठा पहलू है।