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संकट में आईएनएलडी, छिन सकता है चुनाव चिन्ह, चुनाव आयोग के फ़ैसले का इंतज़ार

 14 Oct 2024

हरियाणा चुनाव के नतीजों के बाद राज्य की सबसे पुरानी क्षेत्रीय पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) के ऊपर संकट के बादल मंडराने लगे है। पार्टी से उसका चुनाव चिन्ह छिन सकता है। चुनाव में पार्टी को कुल मतदान में से मात्र 4.14 फ़ीसदी वोट यानी 5.75 लाख वोट ही मिले है। इसके साथ ही पार्टी प्रदेश की महज दो सीटों पर जीत हासिल कर सकी। ये सीटें डबवाली और रानियां है। डबवाली से पूर्व उप-प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल के पोते आदित्य देवीलाल को जीत मिली है, जबकि रानियां से पार्टी के मुख्य सचिव और पूर्व विपक्ष के नेता अभय सिंह चौटाला के बेटे अर्जुन चौटाला जीते हैं। पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार अभय सिंह चौटाला को भी ऐलनाबाद से हार का सामना करना पड़ा है। अब इनेलो के आगे तो अस्तित्व का संकट पैदा हो गया है।


नियमों के अनुसार, इनेलो के लिए यह जरूरी था कि वह राज्य में कम से कम 2 सीट और 6 फीसदी वोट हासिल करती। तभी उसका क्षेत्रीय दल का दर्जा बना रहता। पार्टी दो सीटें तो जीत गयी, लेकिन 6 फ़ीसदी वोट को हासिल नहीं कर सकी। इसके अलावा एक नियम यह कहता है कि भले ही किसी दल को राज्य में 3 फ़ीसदी वोट मिले हो, लेकिन कम से कम सीटें भी तीन जीती हो। इस शर्त को भी इनेलो पूरा नहीं कर पाई है। हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों ने राजनीतिक विशेषज्ञों को चौंका दिया है। भाजपा ने अप्रत्याशित तरीके से इस चुनाव को जीता है।


पार्टी के चुनाव चिन्ह पर ख़तरा पहले भी रहा


2019 के विधानसभा चुनाव में भी इनेलो की कुछ इसी तरह की स्थिति रही थी। 2019 में तो उसे महज 1 सीट पर ही जीत मिली थी और वोट शेयर भी 2.44 फीसदी था। पार्टी के ख़राब प्रदर्शन के इनेलो के लिए अपना सिंबल और क्षेत्रीय दल का दर्जा बचाना भी मुश्किल हो गया है। हालांकि इसके बारे में चुनाव आयोग को ही फैसला लेना है, जो आने वाले दिनों में कोई निर्णय ले सकता है।

इनेलो की स्थापना 1996 में देवीलाल ने की थी। पार्टी को 1998 में क्षेत्रीय दल का दर्जा मिला था, जब उसने 4 लोकसभा सीटें जीती थीं। इनेलो कई बार हरियाणा में सत्ताधारी दल या मुख्य विपक्षी पार्टी का हिस्सा बन चुकी हैं। लेकिन बीते कई चुनावों से यह पार्टी कमज़ोर नज़र आ रही है। इनेलो से ही निकलकर बनी जेजेपी ने 2019 में 10 सीटें जीत ली थी, लेकिन इस बार पार्टी एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं कर पाई है। वहीं जेजेपी का क्षेत्रीय दल का दर्जा अभी बना रहेगा। 2019 में उसे 15 फीसदी वोट मिले थे। इस बार उसे 1 फीसदी से भी कम मत मिले हैं, लेकिन पार्टी को अभी एक चुनाव का मौका और मिलेगा।