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पंजाब सरकार वित्तीय संकट में, पेट्रोल-डीजल पर वैट बढ़ा, बिजली सब्सिडी में कटौती

 07 Sep 2024

पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार वित्तीय संकट का सामना कर रही है। इसे देखते हुए बिजली सब्सिडी को आंशिक रूप से वापस लेना, पेट्रोल और डीजल पर वैट में बढ़ोतरी और बस किराए में 23 पैसे प्रति किलोमीटर की बढ़ोतरी की गयी है। सरकार अपने नए फैसलों से अतिरिक्त 2,500 करोड़ रुपये जुटाने की उम्मीद कर रही है। पंजाब सरकार के इस फैसला से वह विपक्ष के निशाने पर आ गई है।



प्रतिवर्ष 1,800 करोड़ रुपये बचाने में मिलेगी मदद


सभी उपभोक्ताओं को प्रति माह 300 यूनिट मुफ्त बिजली की पेशकश आप ने अपने चुनावी वादे में की थी। बिजली सब्सिडी में वापसी आप के लिए विशेष रूप से कांटेदार कदम है। आप सरकार ने 2022 में सत्ता में आने के बाद पिछली कांग्रेस शासन द्वारा शुरू किए गए 7 किलोवाट लोड तक 3 रुपये प्रति यूनिट के नियम को भी जारी रखा था। सब्सिडी वापस लेने से गर्मी के महीनों में कम से कम 12 लाख और सर्दियों में 1.5 लाख उपभोक्ता प्रभावित होने की उम्मीद है। इससे राज्य के खजाने को प्रति वर्ष 1,800 करोड़ रुपये बचाने में मदद मिलेगी। साथ ही अतिरिक्त 300 करोड़ रुपये का राजस्व भी बढ़ेगा।

मुफ्त बिजली का वादा दिल्ली और पंजाब में आप का मुख्य वादा रहा है। वहीं राज्य में वैट में बढ़ोतरी के बाद पंजाब में पेट्रोल और डीजल अब उत्तर भारत में सबसे महंगे हैं। पेट्रोल जहां  97.44 रुपये प्रति लीटर है, वहीं डीजल 92 पैसे बढ़कर 88.03 रुपये प्रति लीटर हो गया है। हालांकि भगवंत सिंह मान सरकार के पास कुछ ही विकल्प बचे थे क्योंकि नकदी संकट के कारण उसे इस महीने अपने कर्मचारियों के वेतन में देरी करने के लिए भी मजबूर होना पड़ा। कर्मचारियों को एक सितंबर के बजाय 4 सितंबर को भुगतान किया गया।



विपक्ष ने साधा निशाना


पंजाब में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने आप सरकार पर राजस्व बढ़ाने के बहाने ‘आम लोगों की जेब में छेद करने’ का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा, “आप सरकार का अब तक का सबसे शर्मनाक कदम। आप सरकार ने खुदरा ईंधन की कीमतें बढ़ा दी हैं और सब्सिडी वाली बिजली देने की योजना भी वापस ले ली है। डीजल की कीमत में वृद्धि से न केवल किसानों को महंगा पड़ेगा, बल्कि महंगाई भी बढ़ेगी।” बाजवा ने कहा कि आप सरकार जिस तरह से अर्थव्यवस्था को संभाल रही है, उससे पता चलता है कि पंजाब तेजी से दिवालियापन की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने सरकार पर अपने 'फर्जी प्रचार खर्च' पर सालाना 750 करोड़ रुपये बर्बाद करने का भी आरोप लगाया।