बांके बिहारी मंदिर विवाद में कोर्ट का सवाल: ‘लाखों की आस्था का स्थल निजी कैसे?’

उत्तर प्रदेश में वृंदावन स्थित श्री बांके बिहारी मंदिर के प्रबंधन से जुड़े विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वे सोमवार (5 अगस्त) को सुबह 10:30 बजे अगली सुनवाई करेगा। यह सुनवाई उन याचिकाओं को लेकर हो रही है, जिनमें उत्तर प्रदेश सरकार के उस अध्यादेश को चुनौती दी गई है जिसके तहत मंदिर की व्यवस्था एक ट्रस्ट को सौंपने का प्रावधान है।


बांके बिहारी मंदिर विवाद: सरकार के हस्तक्षेप पर आपत्ति


याचिकाकर्ताओं का कहना है कि श्री बांके बिहारी जी का मंदिर एक निजी धार्मिक संस्था है, और यह अध्यादेश राज्य सरकार को अप्रत्यक्ष रूप से मंदिर के नियंत्रण का अधिकार देता है। वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील पेश करते हुए कहा कि सरकार मंदिर की संपत्ति का उपयोग ज़मीन खरीदने जैसे कार्यों के लिए करना चाहती है, जो अनुचित है।

सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि मंदिर की आय केवल किसी एक पक्ष के लिए नहीं, बल्कि उसके समग्र विकास के लिए होती है। जब दीवान ने मंदिर को "निजी" बताते हुए सरकारी हस्तक्षेप पर आपत्ति जताई, तो कोर्ट ने प्रतिप्रश्न किया, "जहां लाखों श्रद्धालु आते हैं, वह धार्मिक स्थल निजी कैसे हो सकता है?" सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि प्रबंधन निजी हो सकता है, लेकिन कोई देवता निजी कैसे हो सकता है?

कोर्ट ने अंतरिम व्यवस्था के तहत एक सेवानिवृत्त हाईकोर्ट या वरिष्ठ जिला जज की अध्यक्षता में मंदिर प्रबंधन के लिए एक कमेटी गठित करने का सुझाव दिया। सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ कहा कि इस चरण में अध्यादेश की संवैधानिक वैधता की जांच नहीं की जा रही है। साथ ही कोर्ट ने तिरुपति और शिरडी जैसे मंदिरों के उदाहरण देते हुए धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया और सभी पक्षों से इस पर सुझाव मांगे हैं।

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