प्रधानमंत्री ने एक बार फिर लिया यू-टर्न, अधिसूचना में कहीं भी जाति जनगणना का जिक्र नहीं- कांग्रेस

कांग्रेस ने केंद्र सरकार की ओर से 16वीं जनगणना की अधिसूचना जारी करने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। पार्टी का कहना है कि यह अधिसूचना महज औपचारिकता है और इसमें बहुप्रतीक्षित जाति आधारित जनगणना का कोई उल्लेख नहीं है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और महासचिव जयराम रमेश ने इसे "खोदा पहाड़, निकली चुहिया" जैसा कदम बताया और केंद्र सरकार पर जातिगत जनगणना के मुद्दे पर जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया। जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि लंबे समय के इंतजार के बाद जारी की गई इस अधिसूचना में पहले से घोषित बातों को ही दोहराया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस की लगातार मांग और दबाव के कारण ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मुद्दे पर विचार करना पड़ा, जबकि पहले उन्होंने इसे खारिज कर दिया था। उन्होंने याद दिलाया कि संसद और उच्चतम न्यायालय में मोदी सरकार ने जातिगत जनगणना का समर्थन करने से साफ इनकार कर दिया था। उन्होंने कहा कि अब अधिसूचना में कहीं भी जाति जनगणना का जिक्र नहीं है। यह एक बार फिर प्रधानमंत्री का यू-टर्न है, जो अब यू-टर्न लेने के लिए जाने जाते हैं। 


जयराम रमेश ने सुझाव दिया कि 16वीं जनगणना में तेलंगाना मॉडल को अपनाया जाना चाहिए। इसमें न केवल जातियों की गिनती की जानी चाहिए, बल्कि उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति का भी गहन अध्ययन होना चाहिए। उन्होंने कहा, "तेलंगाना के जातिगत सर्वेक्षण में 56 सवाल पूछे गए थे। अब सवाल यह है कि 56 इंच की छाती का दावा करने वाला व्यक्ति 56 सवाल पूछने की हिम्मत कर सकता है?" सरकार ने सोमवार को वर्ष 2027 में जातिगत गणना के साथ भारत की 16वीं जनगणना कराने के लिए अधिसूचना जारी की। अधिसूचना के अनुसार, लद्दाख जैसे बर्फीले क्षेत्रों में जनगणना एक अक्टूबर 2026 से शुरू होगी, जबकि देश के बाकी हिस्सों में इसे एक मार्च 2027 से आयोजित किया जाएगा। 

पिछली जनगणना 2011 में हुई थी। कांग्रेस ने केंद्र सरकार की नीयत पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह कदम दलितों, पिछड़ों और अति पिछड़ों के हक को छीनने की साजिश का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि केवल जनगणना करना ही काफी नहीं है, बल्कि इसे सामाजिक न्याय और समानता का माध्यम बनाना चाहिए। कांग्रेस ने केंद्र से पूछा कि जातिगत जनगणना को शामिल न करने के पीछे क्या कारण हैं और यह भी कहा कि इससे सरकार की प्राथमिकताओं और नीतियों पर सवाल खड़े होते हैं। जयराम रमेश ने यह भी याद दिलाया कि प्रधानमंत्री ने कांग्रेस नेताओं को "अर्बन नक्सल" कहकर निशाना साधा था, जब उन्होंने जातिगत जनगणना की मांग की थी। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि केंद्र सरकार इस मुद्दे पर स्पष्ट रुख अपनाए और इसे लेकर जनता के सामने अपनी नीति रखे। कांग्रेस ने जोर दिया कि यह कदम सिर्फ जनगणना नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा अवसर है, जिससे समाज के सभी वर्गों के अधिकारों और जरूरतों को समझा जा सकता है।


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