
मुस्लिम संगठनों का BJP-जेडीयू पर हमला, वक्फ मुद्दे पर वोटों की सियासत तेज
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने देशभर में चल रहे 'वक्फ बचाओ अभियान' के तहत बिहार में अपनी गतिविधियों को विशेष रूप से तेज कर दिया है। बोर्ड ने राज्य के कई जिलोंजैसे पटना, अररिया, किशनगंज, भागलपुर, बेगूसराय, सहरसा, मधुबनी, सिवान और दरभंगा में वक्फ कानून के विरोध में जनसभाएं और कार्यक्रम आयोजित किए हैं। इन इलाकों में मुस्लिम आबादी का घनत्व अधिक है और कई विधानसभा सीटों पर उनका सीधा प्रभाव देखा जाता है।
AIMPLB का मानना है कि इस अभियान का असर आगामी विधानसभा चुनावों पर भी पड़ सकता है, जो अगले छह महीनों में संभावित हैं। बिहार की 243 विधानसभा सीटों में से जिन 72 सीटों पर बोर्ड ने फोकस किया है, उनमें से करीब 30 पर मुस्लिम समुदाय निर्णायक भूमिका निभाता है। 2020 के विधानसभा चुनाव में इनमें से 38 सीटों पर एनडीए ने जीत हासिल की थी, जबकि विपक्षी महागठबंधन को 28 सीटें मिली थीं। AIMIM को भी इन क्षेत्रों में पांच सीटों पर सफलता मिली थी, जिनमें से चार विधायक बाद में राजद के पाले में चले गए थे।
इस बार AIMPLB ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि जेडीयू, लोजपा और हम (सेकुलर) जैसे दलों को मुस्लिम समुदाय से समर्थन मिलने की संभावना कमजोर है। AIMPLB ने इन दलों पर आरोप लगाया है कि उन्होंने वक्फ कानून के समर्थन में संसद में भूमिका निभाकर मुस्लिम समुदाय के विश्वास को तोड़ा है। हाल ही में दिल्ली में आयोजित एक सम्मेलन में AIMPLB ने तीखी आलोचना करते हुए कहा कि एनडीए के सहयोगी दलों ने मुसलमानों की पीठ में छुरा घोंपा है।
हालांकि AIMPLB यह स्पष्ट कर चुका है कि वह किसी भी दल के खिलाफ प्रत्यक्ष रूप से राजनीतिक अपील नहीं करेगा, लेकिन उसके बयानों का असर साफतौर पर सियासी समीकरणों पर देखा जा रहा है। बोर्ड का कहना है कि जिन दलों ने मुस्लिम समुदाय के भरोसे पर चोट की है, उन्हें इस बार उसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। दूसरी ओर, बीजेपी का कहना है कि विपक्षी दल और कुछ संगठन वक्फ कानून को लेकर मुस्लिम समुदाय को गुमराह कर रहे हैं। पार्टी ने इस मुद्दे पर स्पष्टता लाने और लोगों को जागरूक करने के लिए एक चार सदस्यीय कोऑर्डिनेशन कमिटी गठित की है, जो राज्य के विभिन्न जिलों जैसे भागलपुर, मोतिहारी, पटना और मुजफ्फरपुर में जाकर संवाद कार्यक्रम चला रही है। बिहार में मुस्लिम आबादी करीब 17.7% है और बीते कुछ वर्षों में यह वर्ग चुनावों में निर्णायक भूमिका में रहा है।
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