देशभर में मॉक ड्रिल का आदेश: आम लोगों सहित पदाधिकारियों, नेताओं को शामिल होने की हिदायत
6 मई को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। इस पृष्ठभूमि में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक बड़ा कदम उठाते हुए पूरे देश के 244 जिलों में 7 मई को मॉक ड्रिल आयोजित करने का निर्णय लिया है। इसका उद्देश्य नागरिकों को युद्ध जैसी आपात परिस्थितियों से निपटने के लिए जागरूक और तैयार करना है। इस तरह की व्यापक नागरिक सुरक्षा ड्रिल 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद पहली बार हो रही है, जिससे इसकी गंभीरता और व्यापकता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
गृह मंत्रालय ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को भेजे गए निर्देशों में कहा है कि सिविल डिफेंस की टीमों को आम नागरिकों को यह सिखाना होगा कि युद्ध जैसी स्थिति में किस प्रकार का व्यवहार अपनाना चाहिए, किस प्रकार की तैयारियां आवश्यक हैं और संकट की घड़ी में सुरक्षित रहने के उपाय क्या हैं।
इस मॉक ड्रिल में हवाई हमले की चेतावनी देने वाले सायरनों का संचालन किया जाएगा, बंकरों की सफाई और उपयोगिता की समीक्षा होगी, नागरिकों को संभावित हमले के दौरान सुरक्षा के उपाय सिखाए जाएंगे और विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय का परीक्षण भी किया जाएगा।
ड्रिल के दौरान संभावित बिजली बंदी यानी ब्लैकआउट की स्थिति में नागरिकों की प्रतिक्रिया का परीक्षण भी किया जाएगा। इसके साथ ही जरूरी औद्योगिक प्रतिष्ठानों की सुरक्षा और वहां काम करने वालों की सुरक्षित निकासी योजनाओं का अभ्यास किया जाएगा। वायुसेना के साथ समन्वय के लिए रेडियो संचार और हॉटलाइन की जांच की जाएगी। नियंत्रण कक्षों और उनके वैकल्पिक संस्करणों की कार्यक्षमता भी परखी जाएगी ताकि वास्तविक संकट की स्थिति में समय पर निर्णय लिया जा सके।
गृह मंत्रालय के निर्देश के बाद भाजपा संसदीय दल कार्यालय ने सभी सांसदों से अपील की है कि वे स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर इस अभ्यास में आम नागरिकों की तरह भाग लें।
प्रदेश अध्यक्षों और जिला स्तर के पदाधिकारियों से भी कहा गया है कि वे इस कार्यक्रम को सफलतापूर्वक आयोजित कराने में सहयोग करें। केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन इस मॉक ड्रिल की तैयारियों की व्यक्तिगत रूप से निगरानी कर रहे हैं। उन्होंने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों और नागरिक सुरक्षा विभागों के प्रमुखों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से बैठक कर ड्रिल के सभी पहलुओं पर विस्तृत चर्चा की।
गृह मंत्रालय ने अपने आधिकारिक पत्र में कहा है कि मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों में देश को कई नए और जटिल खतरों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में नागरिक सुरक्षा प्रणाली को हर समय उच्च स्तर पर बनाए रखना बेहद जरूरी हो गया है। मंत्रालय ने यह भी कहा कि नागरिकों को तैयार किए बिना किसी भी आपात स्थिति से प्रभावी ढंग से नहीं निपटा जा सकता, इसलिए ऐसी मॉक ड्रिल से न केवल प्रशासनिक एजेंसियों की क्षमता बढ़ेगी, बल्कि आम लोग भी सजग और शिक्षित होंगे।
इसी बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार उच्चस्तरीय बैठकों के माध्यम से सुरक्षा स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं।
पहलगाम हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की मृत्यु के बाद उन्होंने स्पष्ट किया है कि इस हमले को अंजाम देने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा है कि हमलावरों का पीछा दुनिया के आखिरी कोने तक किया जाएगा और उन्हें ऐसी सजा दी जाएगी जिसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की होगी।
इस राष्ट्रव्यापी मॉक ड्रिल को केवल एक अभ्यास के रूप में नहीं देखा जा रहा, बल्कि इसे एक गंभीर राष्ट्रीय चेतना और नागरिक सहभागिता की प्रक्रिया माना जा रहा है। भारत यह संदेश देना चाहता है कि अब सुरक्षा केवल सीमाओं तक सीमित नहीं, बल्कि हर नागरिक की भूमिका महत्वपूर्ण है। इस अभ्यास के माध्यम से सरकार यह भी स्पष्ट कर रही है कि देश किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए मानसिक, भौतिक और रणनीतिक रूप से पूरी तरह तैयार है।