
KIIT में दो नेपाली छात्रों की मौत पर नेपाल सरकार सक्रिय, निष्पक्ष और त्वरित जांच की मांग
भुवनेश्वर के कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी (KIIT) परिसर में तीन महीने के दौरान ही दूसरी नेपाली छात्रा की आत्महत्या का मामला सामने आया है, जिसने पूरे विश्वविद्यालय और छात्र समुदाय को गहरे सदमें में डाल दिया है। घटना के अनुसार, गुरुवार को 18 वर्षीय नेपाली छात्रा का शव उसके रूम नंबर 111 में पाया गया। वह कंप्यूटर साइंस प्रथम वर्ष की छात्रा थी, और उसकी मौत ने न केवल विश्वविद्यालय में बल्कि नेपाल और भारत के बीच भी चिंता और चिंता का विषय बन गया है। घटना के लगभग बारह घंटे बाद, नेपाल सरकार ने इस हादसे पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है, जिसमें नेपाली विदेश मंत्री आरजू राणा देउबा ने दुख प्रकट करते हुए कहा कि उन्होंने इस मामले की निष्पक्ष और त्वरित जांच के लिए आवश्यक कूटनीतिक कदम उठाए हैं।
पुलिस ने जानकारी दी है कि शाम को अटेंडेंस के दौरान जब प्रियाशा शाह नहीं मिलीं, तो उनके कमरे की जांच की गई। कमरे में जाकर देखा गया कि प्रियाशा का शव पंखे से लटका हुआ था। पुलिस ने इस घटना के संबंध में प्रियाशा के साथियों से भी पूछताछ शुरू कर दी है। वहीं, मामले को अप्राकृतिक मौत का दर्जा देते हुए पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। नेपाली विदेश मंत्री देउबा ने कहा कि भारत सरकार और ओडिशा सरकार के साथ मिलकर इस घटना की तह तक पहुंचने के लिए बातचीत जारी है।
भारत में नेपाल के राजदूत डॉ. शंकर पी शर्मा ने भी इस दुखद घटना पर निराशा व्यक्त की और कहा कि नेपाली छात्रा की मौत की खबर से हम बहुत दुखी हैं। उन्होंने अपने बयान में कहा कि हम उनके परिवार के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त करते हैं और मृतक युवती की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं। ओडिशा सरकार और भारत के विदेश मंत्रालय दोनों ने ही इस मामले की जांच सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया है।
यह घटना कोई पहली घटना नहीं है। इससे पहले, 16 फरवरी को भी KIIT के ही हॉस्टल में एक 20 वर्षीय युवती ने आत्महत्या कर ली थी। बाद में पता चला कि उसने आद्विक श्रीवास्तव नामक एक लड़के से परेशान होकर यह कदम उठाया था।
इस घटना के बाद विश्वविद्यालय परिसर में भारी विरोध प्रदर्शन हुए, जिसमें लगभग 800 नेपाली छात्रों को हॉस्टल से निकाल दिया गया। इस घटना के पीछे आरोप लगे कि विश्वविद्यालय प्रशासन और संबंधित अधिकारियों ने नेपाली छात्रों के साथ दुर्व्यवहार किया और उनकी समस्याओं को अनदेखा किया।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस मामले की गंभीरता को समझते हुए खुद संज्ञान लिया और जांच के आदेश दिए। रिपोर्ट में कहा गया है कि विश्वविद्यालय के इंटरनेशनल रिलेशन ऑफिस की लापरवाही और छात्रों के मुद्दों का समय पर न सुलझाना ही इस तरह की घटनाओं का कारण बना है। यह घटनाएं न केवल छात्र जीवन को प्रभावित कर रही हैं बल्कि विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को भी गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा रही हैं।
इन घटनाओं ने विश्वविद्यालय परिसरों में सुरक्षा, समर्थन व्यवस्था और छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। छात्रों के बीच इस तरह की घटनाओं से भय और असुरक्षा का माहौल बन रहा है, जो विश्वविद्यालय की नीतियों और प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है। सरकारें और संबंधित अधिकारी इन मामलों की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित कर रहे हैं, ताकि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
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