
मुंबई में रहने वाले बेशक बहुभाषी लेकिन रहेगा तो मराठी भाषियों का, आंबेडकर जयंती पर बोले राज ठाकरे
महाराष्ट्र नव निर्माण सेना के सुप्रीम राज ठाकरे ने बाबा साहेब अम्बेडकर की जयंती पर उन्हें याद करते हुए कहा कि महाराष्ट्र के निर्माण में उनकी बड़ी भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि मुंबई में उनका निवास संयुक्त महाराष्ट्र समिति का बैठक केंद्र बन गया। राज ठाकरे ने मुंबई को लेकर कहा कि मुंबई में अन्य भाषा बोलने वाले रहते हैं, सिर्फ इसलिए उसे महाराष्ट्र से अलग नहीं किया जा सकता। मुंबई मराठी भाषियों का है और यह महाराष्ट्र में ही रहना चाहिए।
अंबेडकर जयंती पर एक पोस्ट में ठाकरे ने कहा कि यह याद रखना जरूरी है कि अम्बेडकर ने कैसे उस समय एकीकृत महाराष्ट्र के संघर्ष का समर्थन किया था। एमएनएस चीफ ने कहा कि यह याद रखना जरूरी है कि उन्होंने मुंबई सहित एकीकृत महाराष्ट्र न होने के लिए दिए जा रहे सभी तर्कों का किस तरह जवाब दिया था।
मनसे के अध्यक्ष राज ठाकरे ने हाल ही में एक बयान में डॉ बाबासाहेब आंबेडकर के संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन में योगदान को विशेष रूप से रेखांकित किया। ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र के निर्माण में बाबासाहेब की भूमिका बेहद निर्णायक रही है और मुंबई को महाराष्ट्र से अलग करने की कोई भी कोशिश उनके विचारों के खिलाफ है।
राज ठाकरे ने बताया कि जब संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन की शुरुआत हुई थी, उस समय संयुक्त महाराष्ट्र समिति के प्रमुख नेता कॉमरेड एस.ए. डांगे, एस.एम. जोशी, आचार्य अत्रे समेत अन्य प्रमुख हस्तियों ने दिल्ली में डॉ. आंबेडकर से उनके निवास स्थान पर मुलाकात की थी। उन्होंने आंदोलन को समर्थन देने की अपील की थी। ठाकरे ने कहा, "बाबासाहेब ने उस समय दो टूक कहा था कि उनका अनुसूचित जाति महासंघ जिब्राल्टर की चट्टान की तरह इस आंदोलन के साथ खड़ा रहेगा।"
राज ठाकरे ने एक्स पर एक पोस्ट के जरिए यह जानकारी साझा करते हुए कहा कि बाबासाहेब केवल शब्दों में ही नहीं, बल्कि कर्म से भी आंदोलन के साथ थे। उन्होंने बताया कि मुंबई स्थित बाबासाहेब का निवास 'राजगृह' उस समय संयुक्त महाराष्ट्र समिति की बैठकों का प्रमुख केंद्र बन गया था। ठाकरे ने यह भी कहा कि उनके दादा, प्रबोधनकार ठाकरे, इन महत्वपूर्ण बैठकों में हिस्सा लिया करते थे।
राज ठाकरे ने यह भी रेखांकित किया कि आंबेडकर ने यह तर्क भी दिया था कि जैसे भारत में हिंदू और मुस्लिमों की सांस्कृतिक पहचान इतिहास के हमलों के बावजूद मिटाई नहीं जा सकी, वैसे ही मुंबई की मराठी भाषी पहचान भी स्थायी है और उसे बदला नहीं जा सकता।
For all the political updates download our Molitics App :
Click here to Download