
West Bengal: ग्रीन बेल्ट को नुकसान न हो इसलिए शांतिनिकेतन में होली मनाने पर प्रतिबंध, BJP ने रमज़ान को कारण बताया
होली खुशियां और रंगों का त्योहार होता है, जिसे लोग हर साल पूरे उल्लास और धूमधाम से मनाते हैं। हालांकि, इस बार पश्चिम बंगाल सरकार ने बीरभूम जिले के शांतिनिकेतन में आयोजित होली कार्यक्रम पर रोक लगा दी है। सरकार ने यह कदम उठाया है, क्योंकि उनका कहना है कि सोनाझुरी हाट में होली के आयोजन से आसपास के वन क्षेत्र के ग्रीन बेल्ट को नुकसान हो सकता है। सोनाझुरी हाट, जो विश्व भारती विश्वविद्यालय के शांतिनिकेतन परिसर में स्थित है, यूनेस्को द्वारा हेरिटेज साइट का दर्जा प्राप्त है, और इसे संरक्षित करना राज्य सरकार के लिए प्राथमिकता है।
बोलापुर डिविजन के वन अधिकारी राहुल कुमार ने इस मामले में कहा कि इलाके में कई बैनर और पोस्टर लगाए गए हैं, जिनमें लोगों से अपील की गई है कि वे यहां बड़ी संख्या में एकत्रित न हों, वाहनों को पार्क न करें और होली के रंगों का उत्सव न मनाएं। अधिकारियों का कहना है कि होली के आयोजन से जंगल और ग्रीन बेल्ट को होने वाले संभावित नुकसान को देखते हुए यह कदम उठाया गया है। इसके अलावा, विजिटर्स को वीडियोग्राफी करने से भी मना किया गया है, ताकि प्राकृतिक परिवेश को और भी नुकसान न पहुंचे।
राहुल कुमार ने यह भी स्पष्ट किया कि वन विभाग, पुलिस और प्रशासन मिलकर इस कार्यक्रम के आयोजन से जुड़ी हर गतिविधि पर निगरानी रखेगा और लोगों की भीड़ को शांतिनिकेतन में एकत्रित होने से रोकेगा। उन्होंने कहा, "हम चाहते हैं कि लोग स्वयं अनुशासन दिखाएं, यहां बड़ी संख्या में न आएं और परिसर के भीतर होली न खेलें।" इस संबंध में, विश्व भारती विश्वविद्यालय के प्रवक्ता ने बताया कि होली के मौके पर विश्वविद्यालय परिसर को सार्वजनिक रूप से खोलने का निर्णय नहीं लिया गया है, क्योंकि इस स्थान पर लाखों लोग पहुंच सकते हैं, और यहां का इन्फ्रास्ट्रक्चर इतनी बड़ी संख्या में लोगों को संभालने में सक्षम नहीं है।
विश्व भारती के प्रवक्ता ने यह भी बताया कि विश्वविद्यालय का परिसर यूनेस्को हेरिटेज साइट का हिस्सा है, और इस क्षेत्र की प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित रखना बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, "हम बसंतोत्सव के अवसर पर छात्रों और शिक्षकों के लिए ही परिसर को खोलने की योजना बना रहे हैं, लेकिन इसे सार्वजनिक रूप से खोलने से यहां अव्यवस्था फैलने का खतरा हो सकता है।"
वन विभाग का कहना है कि वे नहीं चाहते कि सोनाझुरी के जंगलों को किसी भी तरह का नुकसान पहुंचे, खासकर होली जैसे बड़े आयोजनों के कारण। अधिकारी इस बात को लेकर चिंतित हैं कि अगर इस दौरान बड़ी संख्या में लोग यहां आते हैं और रंगों से भरा पानी जंगल में फैलता है, तो यह इको बेल्ट को नुकसान पहुंचा सकता है और पेड़-पौधे प्रभावित हो सकते हैं।
यह पहला मौका है जब वन विभाग ने सोनाझुरी हाट में होली के आयोजन पर रोक लगाई है। हर साल इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में लोग होली के मौके पर जमा होते रहे हैं, लेकिन इस बार सरकार ने इस आयोजन को लेकर कड़े कदम उठाए हैं। विश्व भारती के प्रवक्ता ने बताया कि यह कदम इसलिए उठाया गया है, ताकि बसी हुई पर्यावरणीय और सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा की जा सके, और यह सुनिश्चित किया जा सके कि इस ऐतिहासिक स्थल को कोई नुकसान न पहुंचे।
इस मुद्दे ने राजनीति का रूप भी ले लिया है। विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने सरकार के फैसले पर सवाल उठाया है। उनका कहना है कि यह केवल शांतिनिकेतन में ही नहीं हो रहा है, बल्कि अन्य स्थानों पर भी यही स्थिति बन रही है, जहां होली के रंगों के प्रयोग पर रोक लगाई जा रही है।
शुभेंदु अधिकारी ने आरोप लगाया कि होली के दौरान पुलिस थानों में बैठकें हो रही हैं, और वहां लोगों से कहा जा रहा है कि इस साल रंगों से होली न खेलें, क्योंकि रमजान का महीना भी है। उन्होंने यह भी कहा कि बीरभूम के अडिशनल एसपी ने आदेश दिया है कि शांतिनिकेतन में होली का उत्सव सुबह 10 बजे तक ही समाप्त कर दिया जाए, ताकि जुमा की नमाज के लिए कोई रुकावट न हो।
शुभेंदु अधिकारी ने इसे बंगाल में पहली बार होने वाली एक अजीब स्थिति बताया और आरोप लगाया कि ममता बनर्जी की सरकार पुलिस प्रशासन के जरिए राज्य में विभाजन की राजनीति कर रही है और तुष्टिकरण की रणनीति अपना रही है। उन्होंने कहा कि राज्य में धार्मिक असहमति और विभाजन पैदा करने के लिए इस तरह के कदम उठाए जा रहे हैं, जो सामाजिक सौहार्द और धार्मिक मेलजोल को प्रभावित कर सकते हैं।
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